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इन महिला खिलाड़ियों ने खोले बेटियों के लिए दरवाजे

इंटरनेशनल वुमन्स डेनाज है हमे इनपर 


यानी महिलाओं की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों का उत्सव मनाने का दिन
 हर साल 8 मार्च के दिन महिलाओं के सक्सेस को सेलिब्रेट किया जाता है…हम आपसे कुछ ऐसी ही खेल जगत की इंडियन वूमन के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने टैलेंट की वजह से पूरी दुनिया को अपना कायल कर दिया 
हम आज एक ऐसी ही महिला की कहानी बता रहे हैं जिसने दुनिया के ताने सुने लेकिन हिम्मत नहीं हारी. लोग इसे क्रिकेट की 'शेरनी' कहते है. और ये महिला हैं 



इंडियन वुमन क्रिकेट टीम की कैप्टन और ऑल-राउंडर हरमनप्रीत कौर . जन्म भी  वूमेन्स डे के दिन (8 मार्च 1989 को पंजाब के मोगा में हुआ था) ..हरमनप्रीत का पूरा नाम रमनप्रीत हरमनप्रीत कौर भुल्लर है
हरमनप्रीत 7 मार्च 2009 को टीम इंडिया का हिस्सा बनीं इसी दिन उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ पहला वनडे खेला . 
भारतीय महिला टी -20 क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में वो मुकाम हासिल कर किया जो उनसे पहले किसी भी भारतीय क्रिकेटर ने नहीं किया.. साउथ अफ्रीका के खिलाफ छह मैचों की टी 20 सीरीज के आखिरी मैच में मैदान पर कदम रखते ही हरमनप्रीत भारत की पहली क्रिकेटर बन गईं जिन्होंने सबसे पहले 100वां टी 20 इंटरनेशनल मैच खेलने का गौरव हासिल किया




शेफाली वर्मा
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार ओपनर शेफाली वर्मा ऑस्ट्रेलिया में जारी टी20 वर्ल्ड कप में अपनी धुआंधार स्ट्रोक से सुर्खियां बटोर रही है शेफाली को सोशल मीडिया पर  एक नया नाम 'लेडी सहवाग' से भी जाना जाता हैं. रोहतक की रहने वाली शेफाली महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानती हैं…ताजा आईसीसी रैंकिंग में शेफाली शर्मा नंबर एक टी-20 बल्लेबाज हैं…


पूनम यादव
आगरा की रहने वाली लेग स्पिनर पूनम यादव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं….महिला टी-20 वर्ल्ड कप में पूनम ने अपनी गेंदबाजी के दम पर पूरी दुनिया में अपना डंका बजाया..लेकिन एक समय ऐसा भी था जब पूनम को उनके पिता ने क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था…लेकिन, पूनम के जुनून और जज्बे को देखकर माता-पिता भी हार मान गए. फिर पूनम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 





रानी रामपाल
पद्मश्री जीतने तक रानी रामपाल का सफर किसी फिल्मी कथा से कम नहीं…रूढिवादी समाज और गरीबी से लड़कर इस मुकाम तक पहुंची हरियाणा की रानी लड़कियों की रोल माडल हैं…उन्हें हाल ही में 'वर्ल्ड गेम एथलीट आफ द ईयर' चुना गया…ये पुरस्कार पाने वाली वो पहली इंडियन और दुनिया की इकलौती हॉकी खिलाड़ी हैं…महज 7 साल की उम्र से हॉकी खेलना शुरू किया..रानी के घर की आर्थिक स्थिति किसी जमाने में इतनी खराब थी कि उनके पास हॉकी किट खरीदने और कोचिंग के पैसे नहीं थे…यही नहीं समाज ने उसके खेलों में आने का भी कड़ा विरोध किया था, लेकिन अब उसी समाज की वो रोल मॉडल हैं…


दूती चंद
महज़ छह साल की उम्र से ही नंगे पैर कड़ी ठंड में नदी किनारे दौड़ने वाली दूती चंद का सफर बेहद कठिन रहा है…
जब भी किसी एथलीट का ज़िक्र होता है तो उभरकर आती है एक लंबी कद-काठी वाली एथलीट की छवि, जो ट्रैक पर तेज़ी से दौड़ लगाती है.. भारत की 5 फ़ीट 11 इंच की स्प्रिंटर दुती चंद को देखकर पहली नज़र में कह पाना मुश्किल है कि मौजूदा दौर में वो एशिया की सबसे तेज़ दौड़ने वाली महिला खिलाड़ी हैं….अपने करियर में कई विवादों को मात देने वाली दुती चंद भारत की सबसे प्रतिभाशाली महिला खिलाड़ियों में से एक हैं…3 फरवरी 1996 को ओडिशा में जन्मीं दुती चंद महिला 100 मीटर रेस में समर ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली तीसरी भारतीय खिलाड़ी हैं…1998 के बाद एशियन गेम्स में मेडल जीतने वाली पहली इंडिय़न एथलीट दुती ने जकार्ता एशियन गेम्स में महिला 100 मीटर में सिल्वर मेडल जीता और इसके अलावा समलैंगिक रिश्ते का खुलासा करने वाली भी पहली भारतीय खिलाड़ी हैं…अभी हाल ही में दुती चंद ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में अपना दूसरा गोल्ड मेडल भी जीता…उन्होंने 100 मीटर की दौड़ में गोल्ड जीतने के बाद 200 मीटर की बाजी भी अपने नाम कर ली…









  
















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