स्वराज इंडिया उतरी नर्मदा घाटी के लोगों के समर्थन में।
· मंदसौर में हुई किसानो की बर्बर हत्या के बाद मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर से नर्मदा घाटी के लोगों की जल हत्या करवाने पर तुली हुई है।
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मंदसौर में हुई किसानों की बर्बर हत्या के बाद मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर से नर्मदा घाटी के लोगों की जल हत्या करवाने पर तुली है। ग़ौरतलब है कि नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की वजह से मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के 244 गाँव और 1 शहर डूब में आ रहा है जिससे लगभग 40,000 परिवार, लाखों की आबादी, मवेशी, मंदिर-मस्जिद, खेत-खलिहान तथा लाखों पेड़ प्रभावित होंगे। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 122 मीटर से बढाकर 138.62 मीटर कर गेट्स बंद करने का निर्णय लिया है। जलहत्या के इस निर्मम षड़यंत्र में राज्य सरकार और केंद्र सरकार बराबर के हिस्सेदार हैं। गुजरात में आगामी विधानसभा चुनाव और नरेन्द्र मोदी के हठधर्मिता का सीधा प्रभाव नर्मदा के डूब क्षेत्र में आने वाले किसानो, मछवारों और स्थानीय निवासियों पर पड़ रहा है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए भी इस विकराल विकराल मॉडल के पक्षधर रहे हैं।
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डूब प्रभावितों द्वारा कई बार मुख्यमंत्री से मिलने का प्रयास किया गया लेकिन लोकतंत्र विरोधी सरकार ने संवाद का कोई रास्ता नहीं निकला। आंकड़े की हेरा-फेरी करके हजारों डूब प्रभावितों को विस्थापितों की सूची से बाहर किया गया। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण तथा शिकायत निवारण प्राधिकरण में हजारों परिवारों के आवेदन लंबित हैं जो मुआवजा तथा घर प्लाट के पात्र हैं परन्तु इसके बावजूद भी नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने सरदार सरोवर के गेट्स बंद करने का आदेश दे दिया। जिन परिवारों को घर प्लाट मिले भी हैं इस स्थिति में नहीं हैं कि वहाँ घर बनाये जा सकें और जिन बसावटों में लोग रह भी रहे हैं वहाँ पानी, बिजली, सड़क, नाले, स्कूल, पोस्ट ऑफिस तथा अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है।
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जस्टिस झा कमीशन की रिपोर्ट में फर्जी रजिस्ट्रीज का खुलासा किया गया है पर मध्य प्रदेश सरकार ने इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार जनहित की बजाय भ्रष्टाचारियों के हित के प्रति कहीं ज्यादा सजग है। लगभग 2.4 लाख लोगों को डुबाने की पूरी तैयारी कर राज्य तथा केंद्र सरकारें 2000 पंडितों के साथ 12 अगस्त को नर्मदा आरती कर जश्न मनाने की तैयारी कर रही है। गांवों में टिन शेड बनाए जा रहे हैं ताकि गांवों से जबरदस्ती लोगों को हटाकर यहाँ रखा जाए। पुलिस तथा अधिकारी जाकर गांवों में लोगों को डराकर गाँव खाली करने का दबाव बना रहे हैं। सरकार की यह दमनकारी प्रवृत्ति बहुत ही घातक है।
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इस गंभीर स्थिति में भी यदि हम साथ आकर इसका विरोध नहीं करते तो नर्मदा घाटी के उन 40,000 परिवारों के साथ ये देश भर के उन तमाम किसानों, मजदूरों, मछुआरों, कुम्हारों, भूमिहीनों की भी हत्या होगी
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जो अपने अपने स्थानों में सरकार के ऐसे कथित विकास मॉडल के कारण अपना जल, जंगल, जमीन के साथ साथ अपना जीने का अधिकार भी खो रहे हैं या खो चुके हैं।
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स्वराज इंडिया जल जंगल जमीन पर स्थानीय निवासियों का पहला हक़ मानते हुए नर्मदा बचाओ आन्दोलन के संघर्ष को अपना समर्थन दिया है। साथ ही नर्मदा घाटी में मेधा पाटकर जी के अनिश्चितक़ालीन उपवास के समर्थन में स्वराज इंडिया के राष्ट्रिय अध्यक्ष योगेंद्र यादव और अन्य साथी सोमवार को जंतर मंतर पर एक दिवसीय सांकेतिक उपवास रखेंगे। अनशन के बाद शाम को जंतर मंगर पर ही कैंडल लाईट मार्च का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में जन आन्दोलनों के कई सामाजिक और राजनैतिक कार्यकर्त्ता में हिस्सा लेंगे।
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