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लम्बे अरसे के बाद मिली एक युवा महिला



लम्बे अरसे के बाद मिली एक युवा महिला                           

एसीपी- अकांक्षा यादव

भारतीय पुलिस को अक्सर भ्रष्ट और असहकारी रूप में देखा जाता है। लेकिन जैसा कि सभी पुरुष बलात्कारी नहीं हैं वैसे सभी पुलिस अधिकारी भी भ्रष्ट नहीं हैं। अगर हम ध्यान से देखें, तो उन अधिकारियों को ढूंढना मुश्किल नहीं है जो समाजं की निस्वार्थ सेवा कर रहे है और अपने आचरण और स्वच्छ छवि का उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। ऐसी ही एक युवा महिला पुलिस अधिकारी है अकांक्षा यादव जिन्होंने पांच माह पूर्व बाहिरी दिल्ली थाने में बतौर एसीपी अपना पदभार सम्भाला। आइये उनसे बात करके हम उनको और दिल्ली पुलिस के बारे में जानने की कुछ कोशिश करते है।
आपने शुरूवाती शिक्षा कहां से हासिल की ?
क्योंकि मै दिल्ली से हूं, मेरी स्कूली शिक्षा दिल्ली के सालवन पब्लिक स्कूल से शुरू हुई और स्नातक की शिक्षा जगन्नाथ इंस्टीट्यूट से हासिल करने के बाद मैने सिम्बायोसिस पूने से एमबीए पूरा किया।
आप किस बैच से हैं और आपकी पहली पोस्टिंग कहां हुई?
मैं 2014 बैच की हूं और 22 दिसंबर 2017 को बाहरी दिल्ली थाने को बतौर एसीपी ज्वाईन किया। इससे पहले मैने बतौर एसएचओ की ट्रेनिंग द्वारका पुलिस थाने से की।
आपने सिविल सर्विसेज को ही क्यों चुना?
अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए ही मैने इस क्षेत्र में कदम रखा। बचपन में जब मैं 8 वर्ष की थी तो पिता जी ने सिविल सर्विसेज में अपना कैरियर बनाने के लिए कहा तब से मेरे जहन में सिविल सर्विसेज में जाने की इच्छा जाग उठी और जब रास्ता तय हो गया तो मंजिल मिलनी आसान हो जाती है और मैने तभी से सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी थी।
आज महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है क्या सच में एैसा हो रहा है?
हां, बिल्कुल हो रहा है आज समाज और परिवार की सोच बदल रही है इसका एक उदाहरण देते हुए उन्होने बताया कि 20 वर्ष पहले से अगर आज की तुलना की जाए तो महिलाओं का सभी क्षेत्रों में पूरा योगदान है ‘‘हां’’ बदलाव में समय जरूर लगता है और आने वाले समय में महिलाएं और सशसक्त होंगी।
क्या आपको नहीं लगता कि इस पुरूष प्रधान भारत देश में कभी कभार महिलाएं भेदभाव का शिकार होती है?
नहीं, ऐसा नहीं है आज हमारे दिल्ली पुलिस में ही उत्तरी पश्चिमी जिले की उपायुक्त असलम खां, आर्थिक अपराध शाखा की उपायुक्त वर्षा शर्मा, दक्षिणी पश्चिमी जिले की अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज और ट्रैफिक में गरिमा भटनागर जी आदि ईमान्दार अधिकारी शामिल है और जो भी प्रोजेक्ट या जिम्मेवारियां उनको मिलती है वह बखूबी निभा रही है।
क्या महिला थानों की बढ़ोत्तरी होनी चाहिए क्योंकि ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि महिलाएं थानों में जाने से कतराती है क्योंकि यौन हिंसा, दहेज एवं घरेलू हिंसा जैसे मामलो को वह सबके सामने नही रख पाती है
आजकल सभी थानो में लेडीज स्टाफ है जिन्हे हम पायलट डेस्क कहते है वह महिलाओं की तकलीफ बेझिझक होकर सुनती है अगर जरूरत पड़े तो उनको अलग कमरों में ले जाकर भी बात करती है जिससे महिलाएं अपनी बात बेझिझक होकर कह सके। सच्चाई यह है हरीश जी महिला थानो का उद्देश्य क्या था- औरते खुलकर अपनी बात पुलिस के सामने रख सके और पुलिस उन पर तेजी से कार्रवाही कर सके और हम अपने थानों में ये सब कर रहे हैं साथ ही समझौता कराने पर जोर देते हैं कि किसी तरह से परिवार बच जाए हां महिला थानों मेेेे लोग कम होते है पुलिस स्टाॅफ और थाने दोनो बढ़ने चाहिए अगर इससे समाज के पीड़ित लोगों का भला होता है।
आपके क्षेत्र में किस तरह के अपराध मामलों की शिकायतंे   आती है और आप उसे कैसे निपटाते हो?
बाहरी दिल्ली थाने के अन्तर्गत ज्यादातर मामले स्नैचिंग, जेबतराशी और वाहन चोरी के मामले आते है। हम अपराध स्थलों की पहचान कर, बीट पेट्रोलिंग बढ़ाकर लोगों की ज्यादा भागेदारी से इन अपराधों की रोकथाम के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं।
पुलिस और समाज के बीच की खाई को कम करने के लिए आप क्या कदम उठा रही है?
आज हम एक ऐसा माहौल बना रहे है जिसमें प्रशासन और जनता के बीच एक फ्रेण्डली रिश्ता बन सके और लोग अपनी तकलीफे आसानी से बयां कर सके और जनता यह कह सके कि यह मेरा अपना थाना है (sense of belongings ) युवा एसीपी ने बताया कि पुलिस अधिकारियों का काम होता है अपराधियो को पकड़ना लेकिन अब देखा गया है कि पुलिस समाज के बीच जाकर, कुछ ऐसे अभियान चला रही है जिसमें लोगों का पुलिस प्रशासन पर विश्वास और अधिक बन सके।
पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए आप किस तरह के उपाय कर रही है?
पुलिस कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए समय समय पर हम अलग अलग स्थानों पर बैठकों का अयोजन कर अच्छा कार्य करने वाले बीट कर्मियों को अवार्ड से सम्मानित करते है साथ ही उन्हें प्रेरित करती हूं कि वह अपने अपने क्षेत्रों में वरिष्ठ नागरिको व महिलाओं का सम्मान करे और जितनी जल्दी हो सके उनकी समस्याओं का निराकरण करे।
अकांक्षा जी, हम अच्छी सेहत की कामना करते है और आशा करते है बाहिरी दिल्ली क्षेत्र के लोगों के लिए अपनी सकरात्मक सोच से एक बेहतर माहौल, अपराधों में सुधार लाओगे और समाज के बीच रहकर लोगों को यह एकहसास कराओगे कि दिल्ली पुलिस सदा आपके साथ है और हम भी जनता से उम्मीद रखंेगे कि वह भी आपको अपना समझें।
धन्यवाद
हरीश अरोडा


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