सीआईसी ने कहा, देश में असहिष्णुता की घटनाओं को देखते हुए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के रिकॉर्ड को जाहिर करना बुद्धिमानी नहीं है
केंद्रीय सूचना आयोग ने ‘ब्लू स्टार’ ऑपरेशन के बारे में सभी फाइलों और
रिकार्ड्स की जानकारी
नहीं देने को सही ठहराया और कहा कि इस रिकॉर्ड को अभी जाहिर
करना बुद्धिमानी नहीं होगी जब देश में समुदायों के बीच पहले ही इस तरह की
असहिष्णुता फ़ैली हुई है ।आवेदक नवदीप गुप्ता ने आरटीआई आवेदन पीएमओ में दायर कर भारतीय सेना के
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बारे में सभी फाइलों
की जानकारी माँगी थी। बाद में इस आवेदन को सेना को
भेज दिया गया जिसने इस बारे में सूचना इस आधार पर देने से मना कर दिया कि यह देश
की खुफिया रिकॉर्ड से जुड़ा है।आयोग के समक्ष दिए गए आवेदन के जवाब में सेना ने कहा
कि अभी तक ये रिकार्ड्स वर्गीकृत नहीं हैं और अंततः संबंधित सूचना राष्ट्र-विरोधी तत्वों और बाहरी एजेंसियों को देश में अलगाववादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने
को उत्साहित करेगा। और “फिर जानकारियों की निहित स्वार्थ वाले समूहों द्वारा गलत व्याख्या का भी डर है
जिसकी वजह से हिंसा फ़ैल सकती है और अराजकता पैदा हो सकती है और यह देश की सुरक्षा
को प्रभावित करेगा और जिस तरह की विस्तृत सूचना माँगी गई है उससे ऑपरेशन में
शामिल बलों को निशाना बनाए जाने की आशंका है,” सेना सीपीआईओ ने सीआईसी से कहा।जहाँ तक सीआईसी के इस प्रश्न की बात है कि घटना
के 30 साल बाद भी क्या इसका देश की
सुरक्षा पर असर पड़ेगा, सेना ने कहा कि इस ऑपरेशन के 28 साल बाद भी ले. जन. के एस बरार (((अवकाशप्राप्त जो कि जेड प्लस
सुरक्षा में रहते हैं, पर अक्टूबर 2012
में बल्कि
लंदन में हमला हुआ क्योंकि वे ऑपरेशन ब्लू स्टार से जुड़े थे।
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