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मूकदर्शक न बनी रहे सरकार लोगों को भी राजनीतिक गणित समजना होगा

साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा गुरमीत राम रहीम के  खिलाफ सीबीआई अदालत के फैसले से पहले ही जैसा माहौल हरियाणापंजाब तथा केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में बना हुआ हैवह शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर कई  सवाल उठाता है। हरियाणा में धारा 144 लगी होने के बावजूद अनुयायियों के हुजूम लगना कानून व्यवस्था पर ही सवालिया निशान है। मामले में लगे गंभीर आरोपों पर देश की कानून व्यवस्था के अनुरूप ही कार्रवाई होनी है। कानून अपना काम कर रहा है मगर प्रशासन भी तो अपना काम करे। आखिर ऐसे हालात क्यों पैदा हो रहे हैं कि लोग असुरक्षा व भय में जी रहे हैंऐसा त लोगों को उत्पन्न हालातों के चलते पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ीक्या सरकार ने बाबा रामपाल प्रकरण में हुई किरकिरी से कोई सबक नहीं सीखाअदालत अपना काम कर  रही है तो सरकार का भी तो फर्ज बनता है कि कानून व्यवस्था में लोगों का भरोसा  कायम रहे। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि डेरा सच्चा सौदा ने चुनाव के वक्त भाजपा के समर्थन में अनुयायियों को आह्वान किया था। लेकिन कांग्रेसी भी अपना  खेल समय समय पर खेलते रहे है गाहे-बगाहे राजनेता डेरे में नतमस्तक भी  होते रहते हैं। तो राजनीतिक गणित के लिये प्रदेश को अशांति के दलदल में धकेल दिया  जायेऐसे में यदि जनमानस में यह धारणा बलवती होती है कि सरकार और डेरे के बीच नूरा कुश्ती खेली जा रही है तो उसे नकारा नहीं जा सकता। डेरे में गाहे-बगाहे भाजपा के  मंत्रियों व नेताओं की आवाजाही   इस बात की गवाही देती रही है। मगर राज्य में सरकार नाम की चीज भी तो नजर आये। उस पर तुर्रा ये कि कई संवेदनशील जिलों में शीर्ष अधिकारियोंके तबादले हुए हैं। नये अधिकारी को तो भौगोलिक हालात समझने में लंबा वक्त लग जाता है। वह भी ऐसे मुश्किल वक्त में। पिछले वर्ष जाट आंदोलन के दौरान राज्य सरकार व प्रशासन की जो जगहंसाई हुईलगता है उससे भी सरकार कोई सबक सीखती नजर नहीं आ रही है। पंचकूला व अन्य जनपदों में सरकारी कामकाज बाधित है। अदालतें प्रभावित हैं।स्कूल-कालेज कई  दिनों के लिये बंद कर दिये गये हैं। हजारों छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बर्बाद करने का कौन दोषी हैयातायात बाधित है और आवागमन में परेशानी आ रही है। कहने को तो हर धर्मगुरु  वपंथ शांति व कल्याण की दुहाई देता नहीं थकताफिर ये कैसी भक्ति कि लाखों लोगों को असुरक्षा बोध से ग्रसित कर दिया जायेअनुयायियों को भी कानून व्यवस्था का सम्मान  करना चाहिए। अदालत के फैसले को धैर्य से सुना जाना चाहिए। फैसले के बाद की कानूनी प्रक्रिया का भी पालन किया जाना चाहिए। ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिएजिससे कानून व्यवस्था का संकट पैदा हो।

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