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हिंदुत्व भारत और हिन्दुओं पर हमला है यह आत्मघाती विचारधारा है









यह सच है कि हिन्दुत्व की विचारधारा वस्तुतः फंडामेंटलिस्ट विचारधारा है। इसके प्रचार प्रसार का पोर्नोग्राफी और वीडियोगेम के अबाध
प्रचार- प्रसार के साथ गहरा संबंध है।...हिंदुत्व भारत और हिन्दुओं पर हमला है यह आत्मघाती विचारधारा है कल कुछ मित्र पूछ रहे थे
हिन्दुत्व क्या है ? मैंने कहा यह भारत और हिन्दुओं पर हमला है यह आत्मघाती विचारधारा है। हिन्दुत्व की जंग स्वयं से है। यह स्वयं
को उजाड़ने की विचारधारा है।सुनने में अजीब लगेगा लेकिन यह सच है कि हिन्दुत्व की विचारधारा वस्तुतः फंडामेंटलिस्ट विचारधारा है।
इसके प्रचार प्रसार का पोर्नोग्राफी और वीडियोगेम के अबाध प्रचार- प्रसार के साथ गहरा संबंध है। इनमें शरीर की सत्ता महत्ता, भय,
घबराहट, असुरक्षा, कमजोरी और दर्द आदि को लाक्षणिक तौर पर महसूस कर सकते हैं। इसके कारण फासिस्ट और फंडामेंटलिस्टों के हमले,
 भय, हिंसा, पीड़ा आदि को हम रूटीन मानकर चलते हैं और उनकी उपेक्षा करने लगते हैं। दृश्यों में इतनी हिंसा, उत्पीडन आदि देखते हैं कि
आंखों के सामने हिंसा देखकर भी हमारा मन गुस्सा नहीं करता। सामाजिक अन्याय की बजाय मनोरंजन हमें ज्यादा प्रभावित करने लगता है।
बटुक संघ का मुसलमानों और धर्मनिरपेक्षों पर दो तरह का हमला निरंतर चलता रहता है "नरम हमला" और "गरम हमला"। दंगों में "गरम
हमला" और जब दंगे न हों तो साइबर जगत और मीडियाजगत से "नरम हमला" !कई मायनों में "नरम हमला" बेहद खतरनाक होता है,
इसके जरिए ये हिन्दुत्ववादी संगठन अहर्निश मुसलमानों और धर्मनिरपेक्ष के खिलाफ जहरीला प्रचार करते रहते हैं और प्रचार से युवा
और औरतें सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।जब से टीवी पर संघ की आक्रामकता बढ़ी है बडी संख्या में घरेलू औरतें सीधे साम्प्रदायिकता
के पक्ष में बहस करने लगी हैं। इस प्रचार की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि सारे देश में धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ घृणा पैदा हुआ है। संघ
जैसे मानवाधिकार विरोधी संगठन के प्रति अंधभक्ति पैदा हुई है। दूसरी उपलब्धि है भय का संचार! मुसलमानों और स्वतंत्रचेता नागरिकों
भय का संचार ! उन पर शरीरिक हमले बढ़े हैं।असल में वे भूल रहे हैं यह सन् 1947 का मुसलमान नहीं है। यह 2017 का मुसलमान है ।
मुसलमान विगत 70 साल में बदले हैं। आज बड़ी संख्या में मुसलिम मध्यवर्ग है जो 1947 में नहीं था। बड़े पैमाने पर मुसलिम युवा विदेशों
में काम कर रहे हैं। बहुत बडी संख्या में अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में मुसलिम बच्चे पढ़ने जा रहे हैं। इस सबसे मुसलमानों का चरित्र और
विचारधारा दोनों बदले हैं। मुसलमानों में उदार पूंजीवाद का तेजी से प्रचार प्रसार हुआ है।



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