नोटबंदी का अर्थशास्त्र: इसलिए यह मनमोहन सिंह के हंसने की बारी
मनमोहन सिंह ने भी नोटबंदी के समर्थकों पर तंज कसते हुए पलटवार किया
जीडीपी ग्रोथ के ताजा आंकड़ों ने दिखा दिया है कि नोटबंदी का देश की
अर्थव्यवस्था पर कैसा असर पड़ा है। पिछले साल नोटबंदी के कुछ सप्ताह बाद पूर्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी चेतावनी दी थी। मनमोहन सिंह ने कहा था कि
नोटबंदी की वजह से जीडीपी ग्रोथ में 2 फीसदी तक की कमी आ सकती है।
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में आर्थिक विकास दर महज 5.7% रही। पिछले साल समान अवधि में जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी दर्ज की गई थी। 2017 की तीसरी तिमाही में 7% से जीडीपी ग्रोथ 1.3 फीसदी कम है। 1991 में देश की आर्थिक उदारीकरण के लिए श्रेय के हकदार मनमोहन सिंह ने मोदी के फैसले को 'स्मारकीय कुप्रबंधन' और 'संगठित लूट व कानूनी डाका' बताया था।
उस समय नोटबंदी के समर्थक सुस्त विकास दर के डर को लेकर मनमोहन सिंह पर हंसे थे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जवाब देते हुए कहा था कि लॉन्ग टर्म में नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा। उन्होंने कहा, ' जब नोटबंदी की प्रक्रिया चल रही है तब किसी भी अर्थशास्त्री के लिए तात्कालिक असर के आगे और पुनर्मुद्रीकरण के बाद के भारत को देखना बुद्धिमानी होगी।'
मनमोहन सिंह ने भी नोटबंदी के समर्थकों पर तंज कसते हुए पलटवार किया और कहा, 'जो लोग कहते हैं कि इस कदम से शॉर्ट टर्म में नुकसान और लॉन्ग टर्म में फायदा होगा उन्हें जॉन कींस की बात याद करनी चाहिए जो कहते थे....लंबे समय तक हम सब मर जाएंगे।'मनमोहन सिंह ने मोदी को चुनौती देते हुए कहा, 'मैं प्रधानमंत्री से ऐसे किसी देश का नाम जानना चाहूंगा, जहां लोगों को बैंक में पैसा जमा करने की अनुमति हो, लेकिन निकालने की नहीं।'
ऐसा लगता है कि जीडीपी ग्रोथ पर नोटबंदी का असर पहले लगाए गए अनुमान से अधिक समय तक होगा। अर्थशास्त्रियों ने पहली तिमाही में विकास दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद जताई थी। अधिकतर अब साल के लिए अनुमान में संशोधन करना चाहते हैं। रेटिंग एजेंसी ICRA ने कहा है कि पहली तिमाही के आंकड़ों को देखने के बाद मौजूदा वित्त वर्ष में 7.0 फीसदी ग्रोथ रेट हासिल करने की उम्मीद कम हो गई है। इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि वित्त वर्ष 18 के लिए इसके द्वारा की गई भविष्यवाणी (7.4 फीसदी) में कमी आएगी।
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में आर्थिक विकास दर महज 5.7% रही। पिछले साल समान अवधि में जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी दर्ज की गई थी। 2017 की तीसरी तिमाही में 7% से जीडीपी ग्रोथ 1.3 फीसदी कम है। 1991 में देश की आर्थिक उदारीकरण के लिए श्रेय के हकदार मनमोहन सिंह ने मोदी के फैसले को 'स्मारकीय कुप्रबंधन' और 'संगठित लूट व कानूनी डाका' बताया था।
उस समय नोटबंदी के समर्थक सुस्त विकास दर के डर को लेकर मनमोहन सिंह पर हंसे थे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जवाब देते हुए कहा था कि लॉन्ग टर्म में नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा। उन्होंने कहा, ' जब नोटबंदी की प्रक्रिया चल रही है तब किसी भी अर्थशास्त्री के लिए तात्कालिक असर के आगे और पुनर्मुद्रीकरण के बाद के भारत को देखना बुद्धिमानी होगी।'
मनमोहन सिंह ने भी नोटबंदी के समर्थकों पर तंज कसते हुए पलटवार किया और कहा, 'जो लोग कहते हैं कि इस कदम से शॉर्ट टर्म में नुकसान और लॉन्ग टर्म में फायदा होगा उन्हें जॉन कींस की बात याद करनी चाहिए जो कहते थे....लंबे समय तक हम सब मर जाएंगे।'मनमोहन सिंह ने मोदी को चुनौती देते हुए कहा, 'मैं प्रधानमंत्री से ऐसे किसी देश का नाम जानना चाहूंगा, जहां लोगों को बैंक में पैसा जमा करने की अनुमति हो, लेकिन निकालने की नहीं।'
ऐसा लगता है कि जीडीपी ग्रोथ पर नोटबंदी का असर पहले लगाए गए अनुमान से अधिक समय तक होगा। अर्थशास्त्रियों ने पहली तिमाही में विकास दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद जताई थी। अधिकतर अब साल के लिए अनुमान में संशोधन करना चाहते हैं। रेटिंग एजेंसी ICRA ने कहा है कि पहली तिमाही के आंकड़ों को देखने के बाद मौजूदा वित्त वर्ष में 7.0 फीसदी ग्रोथ रेट हासिल करने की उम्मीद कम हो गई है। इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि वित्त वर्ष 18 के लिए इसके द्वारा की गई भविष्यवाणी (7.4 फीसदी) में कमी आएगी।
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