इन सवालों के जवाब किस के पास है ?
कोई तो
बता दे
क्या
आप को लगता है कि हरियाणा की खट्टर सरकार ने डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के
सामने राजनीतिक कारणों से समर्पण
कर दिया था ?
क्या राजनीतिक
निर्णय प्रशासनिक निर्णयों से नीचे दब कर
रह गये थे ?
क्या सारा
मामला राजनीतिक था और राज्य सरकार ने भीड़ को पंचकुला में एकत्र होने दिया ?
क्या जांच
सिर्फ इस बात तक सीमित होनी चाहिए की उस दिन की हिंसा में कितने लोगों की मृत्यु हुई?
या फिर
राम-रहीम के डेरे की गतिविधियों तक ही सीमित हो
क्या जांच
इस बात की भी नहीं होनी चाहिए कि सारे मामले को ‘राजनीतिक
बताकर’ अदालत
क्या कहना चाहती है?
क्या यह
मामला राजनीतिक और कथित धर्म के रिश्तों का था ?
क्या धर्म
के सहयोग से राजनीतिक नफा-नुकसान की बिसात बिछायी जानी चाहिए ?
क्या धर्मनिरपेक्ष संविधान वाले जनतंत्र में
कथित धर्म गुरुओं का राजनीतिक हस्तक्षेप स्वीकार्य होना चाहिए ?
क्या कारण है कि राजनीति में धर्म के इस
हस्तक्षेप के परिणामों का लेखा-जोखा जरूरी नहीं समझा जाता ?
धर्म के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी होने के
बावजूद राजनेताओं और राजनीतिक दलों को धर्मगुरुओं की सहायता मांगने में शर्म क्यों
नहीं आती ?
हर पार्टी को चुनावों में बाबा जीत का प्रसाद दे चुके थे.तो
फिर -
क्या हमारे राजनेता और हमारे कथित धर्मगुरु,धर्म
का अपमान राजनीतिक समीकरणों
के कारण तो नहीं कर रहे ?
क्या किसी को आस्था का दुरुपयोग करने का अवसर
मिलना चाहिए ?
क्या प्रधानमंत्री मोदी को स्पष्ट कहना चाहिए
था कि आस्था को राजनीति का हथियार नहीं बनने दिया जा सकता ?
वोटों की राजनीति के चलते धर्म का सहारा कब
थमेगा ?
इन सभी सवालों का जवाब कौन देगा ?
सरकारों और राजनीतिक दलों के अपने स्वार्थ हो
सकते हैं,तो क्या जागरूक नागरिक का स्वार्थ यह होना चाहिए कि वह और उसका समाज धर्म के नाम पर
राजनीति करनेवालों और राजनीति के लिए धर्म को हथियार बनानेवालों से सावधान रहे.
हरीश अरोरा
Very prexise but difficult to answer......becoz it is we who hv raised these questions for ourselves
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