सुप्रीम कोर्ट का निर्देश:सरकार तमाम सार्वजनिक बिल्डिंगों में नेत्रहीनों की पहुंच सुनिश्चित करे
सुप्रीम कोर्ट ने गुड़गांव के रहने वाले एक नेत्रहीन की याचिका को निपटाते हुए
दिव्यांगों को सार्वजनिक स्थानों तक उनकी पहुँच आसान बनाने के लिए निर्देश जारी
किए हैं और इसके लिए एक समय सीमा तय कर दी है। मानवाधिकार संगठन के साथ काम करने
वाले राजीव रतूड़ी ने अपनी याचिका में कहा कि भारत में 60-70 लाख दिव्यांग हैं, लगभग 50% लोग दृश्य
विकलांगता से पीड़ित हैं और इन लोगों की मौलिक चिंता है कि वह सड़क,परिवहन और अपने गंतव्य तक सुरक्षित कैसे
पहुंचें। अपने फैसले में न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ
ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर नेत्रहीनों के अधिकारों का जिक्र
किया।
विकलांगता अधिनियम, 2016 के संबंध में, बेंच ने कहा कि “विकलांगता अधिनियम, 1995 में इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए राज्य की जिम्मेदारी तय की गई है। इस अधिनियम की धारा 45 मौजूदा बुनियादी ढांचे और परिसर को दिव्यांगों के लिए सुलभ कराने के लिए कार्रवाई करने की समय सीमा तय करता है। इसके अलावा,धारा 44 में उन तमाम संस्थानों की यह जिम्मेदारी तय करता है कि वह ऐसे कंस्ट्रक्शन करें कि विकलांगों के लिए आवश्यक मानक का पालन हो। बेंच ने कहा, “यह केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों का संवैधानिक दायित्व है कि वह एक तय समय में इन जरूर तों को पूरा करें।”
विकलांगता अधिनियम, 2016 के संबंध में, बेंच ने कहा कि “विकलांगता अधिनियम, 1995 में इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए राज्य की जिम्मेदारी तय की गई है। इस अधिनियम की धारा 45 मौजूदा बुनियादी ढांचे और परिसर को दिव्यांगों के लिए सुलभ कराने के लिए कार्रवाई करने की समय सीमा तय करता है। इसके अलावा,धारा 44 में उन तमाम संस्थानों की यह जिम्मेदारी तय करता है कि वह ऐसे कंस्ट्रक्शन करें कि विकलांगों के लिए आवश्यक मानक का पालन हो। बेंच ने कहा, “यह केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों का संवैधानिक दायित्व है कि वह एक तय समय में इन जरूर तों को पूरा करें।”
बेंच ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए हैं-
1.
दिसंबर 2017 तक 50 शहरों में 20 से 50 महत्वपूर्ण
इमारतों को पूरी तरह इनके पहुंच के लायक बनाया जाए।
2.
सभी सरकार राज्यों के राजधानियों में 50% इमारतों को दिसंबर 2018 तक पूरी तरह से
नेत्रहीन विकलांगों के पहुंच के लायक बनाएं। सरकार
50% भवनों का ऑडिट
कराए। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सबसे
महत्वपूर्ण 10 शहरों/कस्बों के भवनों
को पूरी तरह से विकलांगों के लिए सुलभ बनाने के
लक्ष्य तय हों।
3.
सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के पूर्ण ऑडिट हों।
4. देश के 50% रेलवे स्टेशनों को
मार्च 2018 तक दिव्यांगों के
पहुंच लायक बनाया जाए।
सरकार के स्वामित्व वाले सार्वजनिक परिवहन के वाहनों के 10% को मार्च 2018 तक पूरी तरह से दिव्यांगों के लिए सुलभ बना दिया जाए।
सरकार के स्वामित्व वाले सार्वजनिक परिवहन के वाहनों के 10% को मार्च 2018 तक पूरी तरह से दिव्यांगों के लिए सुलभ बना दिया जाए।
5. केंद्र और राज्य
सरकार के कम से कम 50% वेबसाइटों के मार्च 2017 तक पहुंच-योग्यता मानकों को पूरा करने का लक्षय तय
किया गया है। कम से कम 50% सार्वजनिक दस्तावेजों को मार्च 2018 तक दिव्यांगों की
पहुंच के लिए योग्यता मानकों को पूरा करने लायक बनाने का लक्ष्य।
6. भारतीय मानक ब्यूरो के राष्ट्रीय भवन कोड के तहत इस पहलू को देखा जाए।
7. मार्च 2018 तक अतिरिक्त 200 साइन-भाषा के दुभाषियों को प्रशिक्षित किया जाए।
8. आज से तीन माह की अवधि के भीतर सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सलाहकार
बोर्ड का गठन करें।
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