किसान निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की किसान मुक्ति यात्रा का आज नौवाँ दिन है।आज की किसान मुक्ति यात्रा की शुरुआत भीलवाड़ा से हुई।आज की पहली किसान सभा मजदूर किसान शक्ति संगठन द्वारा भीम(राजसमन्द) में आयोजित की गई।भारी बारिश के बीच विभिन्न गाँवों से किसान, मजदूर और आदिवासियों ने बड़ी संख्या में सभा में हिस्सा लिया।इन्होंने फ़सल बीमा घोटाले,बीज घोटाले और खाद घोटाले पर अपने विचार व्यक्त किये।
जनसुनवाई में आस पास के विभिन्न गांवों से आये किसानों ने अपनी बात रखी. जनसुनवाई में थाना गाँव से आये बालुलाल ने यह प्रस्ताव रखा की प्रति किसान के व्यक्तिगत खेत का हिसाब हो और उस पर ही उनको मुआवज़ा दिया जाय।।पालूना गाँव से आये चुन्नी सिंह ने कहा की बगेरा की ज़मीन का बहुत बड़ा घोटाला चल रहा है जिसका बंदोबस्त कई सालों से नहीं किया गया जिसका समर्थन किसान यात्रा के साथियों ने भी किया. उन्होंने बताया कि आज खेत में आ कर गिरदावरी करने की बजाए ऑफिस में बैठे-बैठे ही गिरदावरी हो जाती है. मजदूर किसान शक्ति संगठन के कार्यकर्ता शंकर सिंह ने सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को बीमा योजना में शामिल नहीं किये जाने की समस्या को भी उठाया. सांगावास पंचायत के सवाई सिंह ने बताया कि घर और खेती की ज़मीन हाईवे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया है ,बाजार रेट से दस प्रतिशत भी नहीं दिया जा रहा। सरकार द्वारा अकाल घोषित कर स्वयं उसका मुआवज़ा देने के बावजूद उसी फसल पर बिमा कंपनियों ने कोई मुआवज़ा नहीं दिया. इस क्षेत्र के छोटे किसानो ने पूर्ण क़र्ज़ माफ़ी की मांग रखी और कहा की वे आजीवन क़र्ज़ के बोझ तले दबे रह जाते है.
इसी प्रकार खेती की लागत दिन प्रतिदिन बढती जा रही है किन्तु किसानो को बाज़ार में अपनी फसल का वाजिब दाम नहीं मिलता।या तो फसल किसी न किसी कारण से ख़राब हो जाती है या अगर फसल अच्छी हो तो उसका उचित दाम नहीं मिलता।मज़दूर किसान शक्ति संगठन की ओर से शंकर सिंह, लाल सिंह, नारायण, बालू लाल, कमल एवं अन्य लोग सभा में मौजूद रहे।
भीम की सभा को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि इस देश के 70 साल के इतिहास में हमेशा से किसान को दबाया गया है लेकिन अब किसान ने अपनी आवाज बुलंद कर दी है और वह अपने अधिकार हासिल करके रहेगा। सभा को सम्बोधित करते हुए किसान नेता डॉ. सुनीलम ने कहा कि फसल बीमा, कंपनियों द्वारा सरकार के साथ सांठगांठ के कारण नहीं मिलता।कृषि विभाग और राजस्व विभाग द्वारा समय से अनावारी नहीं भेजी जाती।उन्होंने आकलन के लिए पटवारी व्यवस्था को समाप्त करने की माँग करते हुए किसान के खेत को इकाई मानकर आकलन किये जाने की माँग की।सभा में बोलते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा कि प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर पूरे देश में फ्रॉड हो रहा है। बीमा कंपनियां करोड़ों रुपये बीमा प्रीमियम के तौर पर हर साल ले रही हैं, जिसमें से 0.5% भी किसानों को वापिस नहीं मिलता।
कल देर रात भीलवाड़ा में एक किसान सभा हुई जिसमें भारी संख्या में किसान पहुँचे।सभा में बोलते हुए राजस्थान के किसान नेता रामपाल जाट ने किसानों की समस्याओं पर प्रकाश डाला और सभी किसानों को 18 जुलाई को जंतर-मंतर आने का आमंत्रण देते हुए कसो लँगोटा, ले लो सोंटा,आ जाओ दिल्ली का नारा भी दिया।उन्होंने भीलवाड़ा की सभा से 17 जुलाई को 'किसान कर्फ़्यू' का एलान करते हुए कहा कि सभी किसान भाई 17 जुलाई को बाजार और हर तरह के सरकारी कार्यों का बहिष्कार करें।
किसानों की दुर्दशा की जिम्मेदार सरकार का बड़े उद्योगपतियों के प्रति झुकाव हमेशा से रहा है। जब विजय माल्या और अम्बानी की बात आती है तो सरकार की जेब बड़ी हो जाती है , लेकिन जब किसान की बात आती है तो सरकार की जेब छोटी हो जाती है।ज्ञात हो कि हर साल इस देश का किसान लगभग 1.5 से 2 लाख करोड़ अनुदान देता है अर्थात यदि किसान को अपने फसल में लगे लागत से 50% अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता तो किसान को 1.5 से 2 लाख करोड़ रूपये प्रतिवर्ष अधिक मिलते।पिछले 70 साल में लगभग यह राशि 100-140 लाख करोड़ बनती है।यह राशि आज देश पर किसानों का क़र्ज़ है।सरकार को चाहिए की देश पर जो किसानों का ऋण है उसके एवज़ में सरकार किसानों के द्वारा की जा रही ऋण माफ़ी की माँग को स्वीकार करे तथा उनके फसल का लागत से 50% अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करे, जिससे कि देश का किसान खुशहाल हो,उसे सर उठाकर जीने का अधिकार मिल सके।
लेकिन एक बात साफ है कि अगर किसान एकजुट होकर खड़ा हो जाए, तो इसी सरकार के जेब में पैसा आ जाता है। कुछ दिन पहले जीएसटी की घोषणा हुई तो सरकार को लगा कि यह घोषणा किसान को पसंद नहीं आ रही है उसमें रोष व्याप्त हो रहा है।रातों-रात,ठीक 4 घंटा पहले सरकार ने ट्रैक्टर व फ़र्टिलाइज़र पर जीएसटी का रेट कम कर दिया। इससे यह साबित होता है कि अगर सरकार को जरा भी भनक लग जाए कि किसान जागने लगा है तो सरकारें भी जागने लगती हैं।कोई पार्टी,कोई सरकार किसान की सगी नहीं है।यह भी सच है कि जब बच्चा रोता है तभी माँ उसे दूध पिलाती है इसी प्रकार जब किसान संघर्ष करेगा तो सरकार भी उसकी बात मानेगी।आज किसान को संघर्ष का महत्व समझ में आ गया है और वह उस रास्ते पर चलने को तत्पर भी है।
आज सभी किसान नेताओं ने अजमेर प्रेस क्लब में मीडिया को सम्बोधित किया।प्रेस को सम्बोधित करते हुए राजू शेट्टी ने कहा कि सरकार डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का अपना वायदा पूरा करे। उन्होंने कहा कि किसान अब निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार हैं।प्रेसकॉन्फ्रेंस में विज्ञान मोदी, हनुमानराम चौधरी विशेष तौर पर मौजूद रहे।
विदित हो कि किसान मुक्ति यात्रा में प्रत्येक दिवस एक महान किसान नेता को समर्पित किया जाता रहा है।इसी श्रृंखला में आज का दिन महान किसान नेता छोटूराम को समर्पित है। छोटूराम जी ने ग्रामीण जनजीवन का उत्थान और साहूकारों द्वारा गरीब किसानों के शोषण पर एक सारगर्भित दर्शन दिया था। चौधरी छोटूराम ने एक दल, जमींदारा पार्टी का गठन किया था जो की किसान, मजदूर, मुसलमान, सिख और शोषित लोगों की पार्टी थी। चौधरी छोटूराम ने अनेक समाज सुधारक कानूनों के जरिए किसानों को शोषण से निज़ात दिलवाई।
किसान मुक्ति यात्रा में किसान नेता चंद्रशेखर(तेलंगाना),गोरा सिंह(पंजाब),लिंगराज(उड़ीसा),पी. एस.शारदा,रुलदू सिंह(पंजाब),
रश्मि(कर्नाटक) और विमलनाथन(तमिलनाडु),पार्वती(मध् यप्रदेश) सहित 15 राज्यों के 150 यात्री शामिल रहे।
मंदसौर के गोलीचालन, बारदौली और खेड़ा की विरासत को याद करते हुए यह यात्रा नर्मदा के विस्थापित किसानों के संघर्ष से जुड़ी साथ ही व्यारा के आदिवासी महिलाओं और मेहसाणा में दलित संगठनों के आज़ादी कूच का हिस्सा बनी।यह किसान मुक्ति यात्रा मध्यप्रदेश के मंदसौर से शुरू होकर 6 राज्यों से होती हुई 18 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पहुँचेगी। इस यात्रा के साथ हज़ारों की संख्या में किसान जंतर-मंतर पहुँचेंगे।जंतर-मंतर पर पहुँच कर यह यात्रा एक अनिश्चित कालीन धरने में परिवर्तित हो जाएगी जिसमें देश भर के 200 से भी अधिक किसान संगठन शामिल होंगे।
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