पार्टी से हैं नाराज सिद्धू, दे सकते हैं इस्तीफा!
जालंधर. नवजोत सिंह
सिद्धू फिर तल्ख हैं. मंगलवार को सिद्धू ने अपने सहयोगियों के साथ पंजाब कांग्रेस
की सियासत पर जमकर चर्चा की. सूत्रों पर यकीन करें तो स्थानीय निकाय मंत्री का
अपनी सरकार से मोहभंग हो गया है. सरकार से कैसे निपटा जाए सिद्धू ने इस पर अपने
साथियों के साथ मिल कर रणनीति बनाई. बीजेपी छोड़ 15 जनवरी 2017
को कांग्रेस का हिस्सा बने नवजोत सिंह सिद्धू सरकार के रवैये से
बुरी तरह से आहत हैं. जालंधर, अमृतसर और पटियाला के मेयर के
चयन को लेकर चल रही प्रक्रिया में सरकार ने अपने स्थानीय निकाय मंत्री को पूरी तरह
से इग्नोर किया है. इसके बाद से सिद्धू तल्ख हो गए हैं. सूत्रों का तो यहां तक
दावा है कि सिद्धू किसी भी पल अपने इस्तीफे की पेशकश सीएम कैप्टन अमरेंदर सिंह को
कर सकते हैं. कांग्रेस में शामिल होने पर सिद्धू को पंजाब का डिप्टी सीएम बनाने का
दावा किया गया था लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ है. सिद्धू ने कई मर्तबा पार्टी को
उसके वादे की याद दिलाई. लेकिन बात आई, गई हो गई. इससे
सिद्धू ने पिछले साल सितंबर में इस्तीफा देने का मन बना लिया था. लेकिन पंजाब
कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सिद्धू को मना पार्टी का संकट खत्म करा दिया
था. इसके बाद सिद्धू ने नगर निगम चुनाव में टिकटों के वितरण को लेकर बगावती सुर
अपनाए थे. लेकिन तब भी स्थानीय निकाय मंत्री के हिमायतियों को टिकट दे कर नवजोत
सिद्धू को शांत कर लिया गया था. अब जब सिद्धू ने खुलकर अपना विरोध जताना शुरू कर
दिया है तो पार्टी ने किसी भी स्तर पर अपने मंत्री को मनाने की कोई कोशिश नहीं की
है. उल्टा सीएम समर्थकों का कहना है कि रोज़-रोज़ का ड्रामा खत्म करने के लिए
सिद्धू का इस्तीफा ही हो जाना चाहिए. सिद्धू ने जिस तरह से सोमवार को मीडिया के
सामने अपनी भड़ास निकाली उससे पार्टी के विधायक गुस्से में हैं. नाम जाहिर न करने
की शर्त पर पार्टी के विधायक ने कहा कि अब हद हो गई है. विधायक की मानी जाए तो
सिद्धू हर काम में अडंगा डाल रहे हैं. जिससे सरकार की मुश्किलें बढ जाती है. ऐसे
में सिद्धू का सरकार से बाहर जाना ही ठीक रहेगा. बताया जाता है कि सिद्धू मंगलवार
को चंडीगढ में ही थे. उधर, सीएम भी राजधानी में ही थे. सीएम
से कई विधायकों ने मुलाकात की. विधायक जब सीएम से मुलाकात कर रहे थे तो सिद्धू
अपने साथियों के साथ भविष्य की रणनीति बनाने में मशलूग थे. इससे साफ है कि
कांग्रेस में फिलहाल सब कुछ ठीक नहीं है. 16 मार्च 2017
को वजूद में आई कांग्रेस की कैप्टन अमरेंदर सिंह सरकार के अपने
कार्यकाल का साल पूरा होने से पहले ही बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह की विदाई हो
गई है. ऐसे में सिद्धू अगर इस्तीफा देते हैं तो कांग्रेस को नई मुश्किलों का सामना
करना पड़ेगा.
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